Gurdaspur: अचानक घर में घुसे और मारपीट शुरू कर दी’, पंचायत चुनाव को लेकर गुरदासपुर में हिंसक झड़प, 4 घायल
Gurdaspur के गांव रसूलपुर में पंचायत चुनाव को लेकर हुए विवाद के बाद कुछ लोगों ने हाथियारों से हमला कर चार लोगों को घायल कर दिया। यह घटना उस समय हुई जब पीड़ित पक्ष पंचायत चुनाव में पंच के कागज दाखिल करने की चर्चा कर रहे थे। इस हिंसक झड़प के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और आरोपियों की तलाश में छापेमारी कर रही है, लेकिन फिलहाल किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
घटना का विवरण
पीड़ित प्रेम सिंह, जो फकीर सिंह का पुत्र और गांव रसूलपुर का निवासी है, ने पुलिस को बताया कि पंचायत चुनाव के संबंध में वह अपने घर में चर्चा कर रहा था। रात करीब 9 बजे, अचानक से आरोपियों ने उसके घर में घुसकर हाथियारों से हमला कर दिया। हमले में प्रेम सिंह बुरी तरह से घायल हो गया।
हमलावरों का कहर यहीं नहीं थमा। इसके बाद उन्होंने प्रेम सिंह के समर्थक लखबीर सिंह, जो रसूलपुर के ही निवासी हैं, के घर में भी प्रवेश किया और वहां मौजूद सुखबीर सिंह, गुरप्रीत सिंह और हरविंदर कौर पर हमला कर दिया। हमलावरों ने सभी को बुरी तरह से घायल कर दिया और इसके बाद वे अपनी कारों में बैठकर फरार हो गए।
घायलों की स्थिति
घायल लोगों को तुरंत इलाज के लिए सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। जबकि हरविंदर कौर की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे अमृतसर रेफर कर दिया गया है। चिकित्सकों के अनुसार, सभी घायल व्यक्तियों की हालत स्थिर है, लेकिन कुछ को गंभीर चोटें आई हैं।
पुलिस की कार्रवाई
इस मामले की जांच कर रहे एएसआई हरपाल सिंह ने बताया कि प्रेम सिंह के बयान पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। आरोपियों की पहचान धर्मजोत सिंह, भगवंत सिंह, उधम सिंह, मनिंदर सिंह (सभी रसूलपुर निवासी) और दलेलपुर निवासी गिंदी के रूप में की गई है। इसके अलावा, दस अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। पुलिस का कहना है कि आरोपियों को पकड़ने के लिए छापेमारी की जा रही है, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।
पंचायत चुनाव में बढ़ते तनाव
यह घटना गुरदासपुर जिले के गांव रसूलपुर में पंचायत चुनाव के दौरान बढ़ते तनाव का एक और उदाहरण है। चुनावों के दौरान अक्सर गांवों में इस प्रकार के विवाद होते हैं, जो कभी-कभी हिंसक रूप भी ले लेते हैं। पंचायत चुनाव ग्रामीण राजनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं, और कई बार उम्मीदवारों और उनके समर्थकों के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा और वैमनस्य उत्पन्न हो जाता है।
रसूलपुर में हुई यह हिंसा भी इसी प्रतिस्पर्धा का परिणाम प्रतीत होती है। प्रेम सिंह और उनके समर्थक पंचायत चुनाव में पंच के पद के लिए कागज दाखिल करने की योजना बना रहे थे, जिसे लेकर विवाद उत्पन्न हुआ। आरोप है कि विरोधी पक्ष ने इस योजना का विरोध करते हुए हिंसक कदम उठाया और हथियारों से हमला किया।
ग्रामीण इलाकों में पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा के बढ़ते मामले
पंचायत चुनावों के दौरान हिंसा का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के ग्रामीण इलाकों में पंचायत चुनावों के दौरान इस प्रकार की घटनाएं सामने आई हैं। पंचायत चुनावों में आमतौर पर स्थानीय स्तर पर सत्ता की लड़ाई होती है, जहां छोटे-छोटे विवाद कभी-कभी बड़े हिंसक संघर्ष में तब्दील हो जाते हैं।
स्थानीय राजनीति में जाति, समुदाय और परिवारों के बीच पुरानी दुश्मनी भी इन घटनाओं को और भड़काने का काम करती है। चुनावों के दौरान गांवों में वर्चस्व स्थापित करने की होड़ में उम्मीदवार और उनके समर्थक हिंसा का सहारा लेने से भी नहीं चूकते। यह स्थिति प्रशासन और पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण बन जाती है, क्योंकि चुनावों के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखना उनके लिए प्राथमिकता होती है।
पुलिस और प्रशासन की चुनौती
पंचायत चुनावों के दौरान इस प्रकार की हिंसक घटनाओं से निपटना पुलिस और प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती होती है। ग्रामीण इलाकों में आपसी झगड़ों और दुश्मनी के चलते इस प्रकार की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। हालांकि, प्रशासन का यह कर्तव्य होता है कि वह चुनावी प्रक्रिया को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराए और हिंसा को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए।
गुरदासपुर के रसूलपुर गांव में हुई यह घटना भी प्रशासन के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि चुनावों के दौरान तनाव और हिंसा को रोकने के लिए समय रहते आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है। इस घटना में शामिल आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
समाज की जिम्मेदारी
चुनावों के दौरान होने वाली हिंसा से बचने के लिए समाज को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। ग्रामीण इलाकों में पंचायत चुनाव सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन इसके लिए हिंसा का सहारा लेना किसी भी प्रकार से उचित नहीं है। समाज के नेताओं और बुजुर्गों को इन मामलों में मध्यस्थता कर विवादों को सुलझाने की पहल करनी चाहिए, ताकि गांवों में शांति और सौहार्द्र बना रहे।